Bitcoin कम्युनिटी में मतभेद: MicroStrategy की लेटेस्ट 10,000 BTC खरीद से प्राइस क्यों नहीं हिली — OTC लिक्विडिटी और मार्केट स्ट्रक्चर पर सवाल
Andrew Tate की पोस्ट जिसमें उन्होंने पूछा कि MicroStrategy की ~10,000 BTC की खरीद के बावजूद Bitcoin का प्राइस क्यों नहीं बढ़ा, ने क्रिप्टो कम्युनिटी में बहस छेड़ दी है। यह चर्चा रिटेल ट्रेडर्स के बीच एक पुराने सवाल को सामने लाती है: इतनी बड़ी खरीद होने के बाद भी मार्केट में कोई साफ़ असर क्यों नहीं दिखता?
Community Debate से खुली Bitcoin OTC मार्केट डेप्थ की गलतफहमी
Andrew Tate की यह चर्चा तब शुरू हुई जब MicroStrategy ने 10,600 से ज्यादा BTC खरीदे — जिसकी वैल्यू लगभग एक बिलियन $ थी। इसके बाद उनकी कुल होल्डिंग 660,000 कॉइन्स से ऊपर पहुंच गई।
इतनी बड़ी खरीद के बावजूद, Bitcoin का प्राइस उस समय लगभग स्थिर था। यह 88,000 से 92,000 $ के बीच सीमित रहा और आज ही इसमें ब्रेकआउट देखने को मिला।
कई इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स ने बताया कि बड़े संस्थागत निवेशक ज्यादातर ट्रेडिंग स्पॉट ऑर्डर बुक्स पर नहीं करते। इसके बजाय ये डील Over-The-Counter (OTC) डेस्क्स के जरिए होती हैं, जहां खरीदार और विक्रेता एक्सचेंज के बाहर मिलते हैं।
इन ट्रांजैक्शन्स का पब्लिक लिक्विडिटी पूल्स में कोई असर नहीं पड़ता, जिससे प्राइस में फिसलन (slippage) नहीं आती और न ही चार्ट्स या इंडेक्स पर तुरंत कोई असर दिखता है।
इसका मतलब यह है कि बिलियन $ तक की खरीद माइनर्स, शुरुआती वॉलेट्स, मार्केट मेकर्स और डिस्ट्रेस्ड सेलर्स के बीच बिना किसी अपवर्ड मूवमेंट के शांति से हो सकती है।
OTC इन्वेंट्री से डिमांड पूरी न होने पर ही खरीदार स्पॉट एक्सचेंज में जाते हैं, तभी प्राइस में असली मूवमेंट आता है। MicroStrategy का इतनी बड़ी मात्रा में कॉइन्स प्राइवेटली खरीदना दिखाता है कि Bitcoin की लिक्विडिटी फिलहाल कितनी ज्यादा है।
Bitcoin प्राइस मूवमेंट अब साइज से कम, execution route पर ज्यादा निर्भर
कई एनालिस्ट्स बताते हैं कि MicroStrategy की खरीद देखने में बड़ी लगती है, लेकिन असल में ये एक्टिव सप्लाई का बहुत छोटा हिस्सा है।
10,000 BTC की खरीद फिर भी सिर्फ ~0.05% सर्क्युलेटिंग सप्लाई है, और जब ये डील्स प्राइवेटली ब्लॉक ट्रेड्स के जरिए होती हैं, तब इसका असर लगभग अदृश्य रहता है।
यह दिखाता है कि कॉरपोरेट्स क्रिप्टो कॉइन्स की जमा-जोड़ लगातार कर सकते हैं — भले ही मार्केट साइडवेज़ हो। रिटेल इनवेस्टर्स को इसका पता अक्सर बाद में ही चलता है, जब सिमटमेंट पूरी हो जाती है।
हालांकि, आलोचकों का कहना है कि MicroStrategy की स्ट्रैटेजी असर से ज्यादा पर्सेप्शन पर निर्भर करती है। कुछ लोगों का मानना है कि कंपनी की प्रमोशनल घोषणाएं सीधे प्राइस बदलने के लिए नहीं, बल्कि बुलिश सेंटीमेंट बनाने के लिए होती हैं।
तुरंत रिएक्शन की कमी से ये कयास और बढ़ जाते हैं कि सिर्फ हेडलाइन वाले खरीदी उतनी इंफ्लुएंशल नहीं होती जितना इन्वेस्टर्स सोचते हैं।
ये चर्चा ऐसे समय में हो रही है जब मार्केट में सेंसिटिविटी ज्यादा है। मार्केट आज ब्रेकआउट हुआ है, वो भी एक हफ्ते की सुस्ती के बाद — और ये मूव MicroStrategy की वजह से नहीं, बल्कि व्हेल accumulation, शॉर्ट liquidation और रेग्युलेटरी डेवलपमेंट्स के कारण हुआ है।
ये कंट्रास्ट एक जरूरी सीख रेखांकित करता है: जो दिख रहा है प्राइस मूवमेंट, वह अक्सर लेट-स्टेज ऑर्डर फ्लो को दिखाता है, न कि असल खरीद को।