Bitcoin ने अपनी लॉन्ग-टर्म इक्विटीज के साथ कोरिलेशन तोड़ दी है, पहली बार पिछले एक दशक में इसे स्टॉक्स से पूरी तरह अलग देखा गया है।
इस बदलाव से क्रिप्टो और ट्रेडिशनल मार्केट्स के बीच दूरी बढ़ती दिख रही है और सवाल उठा है कि Bitcoin इस साइकिल में किस रोल में है।
मार्केट में ऐतिहासिक डिकप्लिंग
Bitcoin और स्टॉक्स आमतौर पर एक साथ मूव करते आए हैं। हालांकि, अब इसमें बदलाव साफ नजर आ रहा है।
Bloomberg डेटा के अनुसार, S&P 500 इस साल 16% से ज्यादा ऊपर गया है जबकि Bitcoin 3% नीचे है। ये 2014 के बाद पहली बार हुआ है जब इन दोनों में इतना बड़ा फर्क आया है।
इतना साफ-सुथरा ब्रेक क्रिप्टो स्टैंडर्ड्स से भी अलग है और इससे Bitcoin की ग्लोबल मार्केट्स में भूमिका पर फिर से चर्चा शुरू हो गई है। इस डाइवर्जेंस ने इस उम्मीद को चुनौती दी है कि रेग्युलेटरी पॉजिटिविटी और इंस्टिट्यूशनल पार्टिसिपेशन अपने आप मजबूत परफॉर्मेंस में बदलेगा।
ये और भी खास है मौजूदा माहौल को देखते हुए, जहां AI स्टॉक्स तेजी पर हैं, कैपिटल स्पेंडिंग बढ़ रही है और निवेशक फिर से इक्विटीज की तरफ लौट रहे हैं। इसी के साथ, ट्रेडिशनल डिफेंसिव असेट्स भी आकर्षक बन रहे हैं, जिससे लगता है कि निवेशक रिस्क को अपनाने के बजाय रियलोकेट कर रहे हैं।
क्रिप्टो-स्पेसिफिक प्रेशर्स, जिनमें फोर्स्ड लिक्विडेशन्स और रिटेल पार्टिसिपेशन में भारी कमी शामिल है, Bitcoin की अंडरपरफॉर्मेंस को बढ़ा रहे हैं। अरबों डॉलर की अनवाइंड पोजिशन्स ने डाउनसाइड को तेज कर दिया है, जिससे शुरू में जो करेक्शन था, वो अब इंडस्ट्री रिट्रीट में बदल गया है।
इन सारे संकेतों के बढ़ने के साथ मार्केट सेंटिमेंट कमज़ोर हुआ है और बहस चल रही है कि ये सिर्फ एक सामान्य करेक्शन है या फिर कोई बड़ा स्ट्रक्चरल चेंज।
सिर्फ नॉर्मल पुलबैक या कुछ बड़ा?
Bitcoin को हमेशा मोमेंटम-ड्रिवन एसेट के तौर पर जाना गया है, लेकिन लगातार अपवर्ड ब्रेकडाउन दिखाता है कि अब रिस्क मार्केट्स की लीडरशिप कहीं और शिफ्ट हो गई है।
Bitcoin ETF में इनफ्लो स्लो हो गए हैं, बड़े-बड़े एंडोर्समेंट्स अब कम सुनाई दे रहे हैं और मेन टेक्निकल इंडिकेटर्स में भी कमजोरी नजर आ रही है।
प्राइस एक्शन इस ठंडी होती कॉन्फिडेंस को दिखा रहा है। Bitcoin ने अपने अक्टूबर के $126,000 के पीक के बाद से फिर से मोमेंटम पकड़ने में मुश्किल महसूस की है और अब यह करीब $90,000 के आस-पास ट्रेड कर रहा है। इससे ये समझ में आता है कि यह डाइवर्जेंस सिर्फ शॉर्ट-टर्म वोलाटिलिटी की वजह से नहीं, बल्कि कम होती विश्वास की वजह से हो रही है। जानें विस्तार से
हालांकि अभी डाइवर्जेंस चल रही है, लेकिन लंबी अवधि की बात करें तो नरेटिव और भी जटिल हो जाता है।
मल्टी-ईयर बेसिस पर देखें तो Bitcoin अभी भी इक्विटीज से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। इससे पता चलता है कि हाल की स्प्लिट शायद पहले की हुई ज्यादा कमाई के एडजस्ट होने को दिखा रही है, ना कि ट्रेंड में कोई बड़ा ब्रेक।
इस नजरिए से देखें तो अंडरपरफॉर्मेंस अब भी एक नॉर्मल पुलबैक ही लगती है, जो एक बड़े बुल-मार्केट साइकल में आता है, भले ही कैलेंडर ईयर में थोड़ा फर्क नजर आए।