Commodity Futures Trading Commission (CFTC) शांत तरीके से एक ऐसा बाज़ार स्ट्रक्चर तैयार कर रहा है जिसमें US Treasuries और क्रिप्टोकरेन्सी आगे चलकर एक साथ रह सकते हैं।
12 दिसंबर को, CFTC ने US Treasuries के लिए क्रॉस-मार्जिनिंग की एक्सपेंशन को मंज़ूरी दी।
CFTC के नए आदेश का क्रिप्टो पर क्या असर पड़ेगा
इस बदलाव के बाद अब कुछ खास ग्राहक, सिर्फ क्लीयरिंग मेंबर्स ही नहीं, Treasury futures के लिए CME Group पर मार्जिन रिक्वायरमेंट को ऑफसेट कर सकते हैं। CME Group अमेरिका का सबसे बड़ा क्रिप्टो डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म है।
यह नियम, Depository Trust and Clearing Corporation के Fixed Income Clearing Corporation पर क्लीयर की गई कैश Treasuries पर भी लागू है।
“ग्राहकों के लिए क्रॉस-मार्जिनिंग बढ़ाने से पूंजी की एफिशिएंसी बढ़ेगी जिससे US Treasuries में liquidity और मजबूती आएगी, जो दुनिया का सबसे इंपोर्टेंट मार्केट है,” CFTC की एक्टिंग चेयर Caroline Pham ने कहा।
क्रॉस-मार्जिनिंग कंपनियों को उनकी पोर्टफोलियो में कोरिलेटेड पोजिशन को नेट करके टोटल कोलेटरल कम करने की सुविधा देती है। यह सुविधा डीलर बैलेंस शीट से एंड कस्टमर्स तक लाने से मार्केट स्ट्रक्चर में बड़ा बदलाव आएगा।
मार्केट में शामिल लोग इसे रिस्क मॉडल्स की प्रैक्टिकल टेस्टिंग मानते हैं। यह फ्रेमवर्क आगे चलकर ऐसे पोर्टफोलियो को सपोर्ट कर सकते हैं जिसमें Treasuries, टोकनाइज़्ड फंड्स और क्रिप्टो एसेट्स एक ही क्लीयरिंग इकोसिस्टम में हो सकते हैं।
CME पर ट्रेड होने वाले क्रिप्टो डेरिवेटिव्स के लिए ये आर्डर मार्केट में बड़ा असर डाल सकते हैं।
अगर Treasuries और Treasury futures को बड़े लेवल पर क्रॉस-मार्जिन किया जा सकता है, तो ऐसे ही फ्रेमवर्क भविष्य में और ज्यादा कॉम्प्लेक्स पोर्टफोलियो को भी सपोर्ट कर सकते हैं। उन पोर्टफोलियो में टोकनाइज़्ड Treasury bills और spot Bitcoin भी शामिल हो सकते हैं, जो CME Bitcoin और ETH futures की पोजिशन को सपोर्ट करें, और यह सब यूनिफाइड मार्जिन और रिस्क कंट्रोल्स के तहत हो।
इस बीच, इस ऑर्डर का टाइमिंग इसे वाइडर क्रिप्टो रेग्युलेटरी एफर्ट के बीच लाता है जिसमें CFTC और Securities and Exchange Commission (SEC) दोनों शामिल हैं।
यह SEC के मार्केट स्ट्रक्चर और क्लीयरिंग रिफॉर्म्स पर भी जोर देता है, जहां रेग्युलेटर्स देख रहे हैं कि टोकनाइज़्ड सिक्योरिटीज और डिजिटल कोलेटरल मौजूदा सैटलमेंट और कस्टडी फ्रेमवर्क में कैसे फिट हो सकते हैं।
गौरतलब है, Pham के नेतृत्व में बनी कमीशन ने हाल ही में Digital Asset Collateral Pilot पेश किया है। इस पहल के तहत Bitcoin, Ethereum और USDC को CFTC-रेग्युलेटेड डेरिवेटिव्स मार्केट्स में मार्जिन के तौर पर इस्तेमाल करने की मंजूरी दी गई है।
इन कदमों से यह साफ है कि रेग्युलेटर्स का फोकस कैपिटल एफिशिएंसी और रिस्क मैनेजमेंट पर है, खासकर जब ट्रेडिशनल और डिजिटल मार्केट्स की लाइन धीरे-धीरे मिक्स हो रही है।