Federal Reserve (Fed) 22 दिसंबर, 2025 को रीपरचेज एग्रीमेंट्स के जरिए फाइनेंशियल मार्केट्स में करीब $6.8 बिलियन इनजेक्ट करने जा रही है। यह इसकी पहली बार लिक्विडिटी ऑपरेशन है जो इस तरह से 2020 के बाद किया जा रहा है। पिछले 10 दिनों के दौरान साल के समापन के लिक्विडिटी मैनेजमेंट के तहत करीब $38 बिलियन पहले से ही डिप्लॉय किया गया है।
यह कदम साल के अंत में लिक्विडिटी की कमी और Fed की स्टैंडिंग रेपो फैसिलिटीज़ में हालिया बदलावों के जवाब में लिया गया है। जहां अधिकारी इसे एक सामान्य प्रक्रिया बता रहे हैं, वहीं क्रिप्टो निवेशक इसे रिक्स एसेट्स के लिए एक बुलिश सिग्नल के तौर पर देख रहे हैं।
Repo Operations और मार्केट पर असर समझें
रीपरचेज एग्रीमेंट्स, या रेपो, डेली फाइनेंशियल सिस्टम की लिक्विडिटी को मैनेज करने का एक मुख्य टूल है। रेपो में, Fed बैंकों को हाई-क्वालिटी कोलैटरल (ज्यादातर Treasury securities) के बदले में कैश उधार देता है। बैंक आमतौर पर एक ही दिन के भीतर अपने एसेट्स वापस लेने के लिए यह कैश चुका देते हैं।
इन ऑपरेशंस का मकसद:
- सिस्टम में कैश की पर्याप्त सप्लाई बनाए रखना
- शॉर्ट-टर्म इंटरेस्ट रेट्स में अचानक बढ़ोतरी को रोकना
- कैपिटल मार्केट्स में तनाव को कम करना
दिसंबर के आखिर में जब लिक्विडिटी टाइट होती है, तब ऐसी एक्टिविटी बढ़ जाती है।
Federal Reserve के डेटा के अनुसार, 2025 में डेली सिक्योर्ड ओवरनाइट फाइनेंसिंग रेट (SOFR) मार्केट वॉल्यूम औसतन $2.7 ट्रिलियन रहा, जिसमें से $1 ट्रिलियन से ज्यादा रेपो ऑपरेशंस के जरिए हुआ। इससे पता चलता है कि ये टूल्स मार्केट की स्थिरता में कितने जरूरी हैं।
22 दिसंबर का यह ऑपरेशन Fed के शेड्यूल में $6.801 बिलियन की लिमिट के साथ लिस्ट है। खास बात यह है कि यह 2020 के बाद Fed की पहली लिक्विडिटी एडिंग रेपो ऑपरेशन है, जो इसे 2021 में शुरू की गई स्टैंडिंग ओवरनाइट रेपो फैसिलिटी से अलग बनाता है।
10 दिसंबर, 2025 को New York Fed ने अपनी ओवरनाइट रेपो ऑपरेशंस में अहम बदलावों की घोषणा की। बैंक ने एग्रीगेट ट्रांजेक्शन लिमिट्स हटा दी हैं और फुल अलॉटमेंट फ्रेमवर्क लागू किया है, जिसमें हर प्रपोजल पर $40 बिलियन की लिमिट होगी। इन बदलावों से Fed को रेट्स और लिक्विडिटी कंडीशंस को बेहतर तरीके से मैनेज करने की फ्लेक्सिबिलिटी मिलेगी।
यह Quantitative Easing नहीं, लेकिन फिर भी अहम
कुछ मार्केट पार्टिसिपेंट्स ने माना कि ये कदम पॉलिसी शिफ्ट का संकेत हैं, लेकिन ज्यादातर एक्सपर्ट्स इससे सहमत नहीं हैं। रेपो ऑपरेशंस quantitative easing से काफी अलग होते हैं: QE में Fed की बैलेंस शीट पर स्थायी एसेट खरीदी जाती है, जबकि रेपो ऑपरेशन अस्थायी और सेल्फ करेक्टिंग होते हैं।
“सबसे जरूरी बात यह है कि यह QE नहीं है, कोई पैसा प्रिंट नहीं किया जा रहा है, और यह Fed की पॉलिसी को सॉफ्ट करने का संकेत भी नहीं है, क्योंकि कैश वापस चुका दिया जाता है। लेकिन हां, इससे यह जरूर दिखता है कि लिक्विडिटी अभी भी थोड़ी टाइट है,” ने विश्लेषक ImNotTheWolf ने कहा
यह फर्क बहुत महत्वपूर्ण है। QE आमतौर पर आर्थिक प्रोत्साहन की तरफ एक बदलाव दिखाता है, जबकि repo ऑपरेशंस सिर्फ मनी मार्केट्स में तकनीकी समस्याओं को टारगेट करते हैं। फिर भी, बैंकों की बढ़ती रिजर्व उधार लेने की जरूरत टाइट होती लिक्विडिटी कंडीशन को इंडीकेट करती है।
टाइमिंग भी बहुत मायने रखती है। साल के आखिर में, बैंकों को रेग्युलेटरी रिक्वायरमेंट्स पूरी करने और बैलेंस शीट मैनेज करने के लिए रिजर्व की ज्यादा डिमांड होती है। इससे शॉर्ट-टर्म फंडिंग कॉस्ट ऊपर जा सकता है और repo का यूज बढ़ सकता है।
Fed ने भी 11 दिसंबर 2025 से Reserve Management Purchases का एलान किया है, जिसमें करीब $40 बिलियन के Treasury बिल्स खरीदे जाएंगे।
इनका मकसद सिस्टम में पर्याप्त रिजर्व बनाए रखना और सीजनल लिक्विडिटी की जरूरतों को ऐड्रेस करना है, जिससे Fed की मल्टी-प्रोंग्ड ईयर-एंड अप्रोच मजबूत होती है।
क्रिप्टो मार्केट रिस्पॉन्स और आगे की दिशा
सामान्य एक्सप्लेनेशन के बावजूद, क्रिप्टो इन्वेस्टर्स ने लिक्विडिटी के इस इन्फ्यूजन पर पॉजिटिव रिएक्ट किया है।
क्रिप्टो ट्रेडर्स अक्सर ज्यादा मार्केट लिक्विडिटी को रिस्क-ऑन एसेट्स (जैसे कि Bitcoin) के लिए फेवर करने वाले एनवायरनमेंट से कनेक्ट करते हैं। जब उधारी लेना आसान होता है, तो कैपिटल हाई-यील्ड वाले मौकों में जा सकता है। हिस्टॉरिकली, BTC और बाकी cryptocurrencies ऐसी फेज में सेंट्रल बैंक सपोर्ट के दौरान ऊपर गए हैं।
“सिस्टम में ज्यादा कैश आने का मतलब है फंडिंग आसान, कम स्ट्रेस और रिस्क एसेट्स जैसे $BTC और क्रिप्टो के लिए बेहतर कंडीशंस,” ऐसा लिखा एनालिस्ट TheMoneyApe ने।
कुछ एनालिस्ट्स ने 2026 की शुरुआत में possible क्वांटिटेटिव ईजिंग की उम्मीद जताई है, लेकिन Fed ने ऐसा कोई स्टेटमेंट जारी नहीं किया है।
अभी के लिए, सेंट्रल बैंक अपने रेग्युलेटिव पॉलिसी को स्ट्रिक्ट रखने पर फोकस कर रहा है, ताकि मंदी को 2% लेवल पर लाया जा सके।
आगामी कुछ हफ्तों में पता चलेगा कि ये repo ऑपरेशंस सिर्फ ईयर-एंड के लिए हैं या लॉन्ग-टर्म लिक्विडिटी सपोर्ट का संकेत हैं।
मार्केट वॉचर्स 2025 की पॉलिसी डायरेक्शन के हिंट के लिए कम्युनिकेशन और डेटा को ध्यान से देखेंगे। फिलहाल, दिसंबर के ऑपरेशंस से ये दिखता है कि सेंट्रल बैंक मार्केट स्ट्रेस को रोकने के लिए तैयार है, साथ ही अपनी बड़ी Monetary Policy को स्थिर रखे हुए है।