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क्या आज फिर 10 बजे Bitcoin डंप का कारण Jane Street थी

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Mohammad Shahid

12 दिसंबर 2025 18:23 UTC
विश्वसनीय
  • 10 a.m. ET पर Bitcoin में तेज़ सेल-ऑफ़ नहीं हुआ, गिरावट साइडवेज़ ट्रेडिंग के घंटों बाद आई
  • Futures ओपन इंटरेस्ट लगभग फ्लैट रहा, लिक्विडेशन डेटा से दिखा कि ड्रॉप का कारण leveraged लॉन्ग्स थे, न कि इंस्टीट्यूशनल शॉर्टिंग
  • कोई सबूत नहीं कि Jane Street ने आज की मूवमेंट कराई, डेटा लिवरेज-ड्रिवन फ्लश की ओर इशारा करता है, मार्केट मैनिपुलेशन नहीं

Wall Street की ट्रेडिंग फर्म Jane Street के रोजाना 10 बजे Bitcoin “dump” को ट्रिगर करने के दावे 12 दिसंबर को फिर से सामने आए, जब BTC ने इंट्राडे में शार्प गिरावट दिखाई।

सोशल मीडिया पर एक बार फिर इंस्टीट्यूशनल ट्रेडर्स और ETF मार्केट मेकर्स पर शक किया गया। हालांकि, डाटा को करीब से देखने पर कहानी कुछ अलग नजर आती है।

Jane Street 10 a.m. नैरेटिव क्या है

इस थ्योरी के मुताबिक Bitcoin आमतौर पर US इक्विटी मार्केट्स खुलने के समय, यानी सुबह 9:30–10:00 बजे ET, के आसपास बिकता है। Jane Street को इसलिए फोकस किया जाता है क्योंकि यह एक बड़ा मार्केट मेकर और US स्पॉट Bitcoin ETFs का अधिकृत पार्टिसिपेंट है।

ऐसा दावा किया जाता है कि ये कंपनियां प्राइस को नीचे धकेलती हैं ताकि लिक्विडेशन ट्रिगर हो जाए, फिर सस्ते में खरीद लेती हैं। लेकिन अभी तक किसी रेग्युलेटर, एक्सचेंज या डाटा सोर्स ने ऐसी किसी कॉर्डिनेटेड ऐक्टिविटी को कन्फर्म नहीं किया है।

Bitcoin Futures डेटा में आक्रामक सेल-ऑफ़ नहीं दिख रहा

Bitcoin ने आज US मार्केट ओपनिंग के दौरान साइडवेज़ ट्रेड किया, और $92,000–$93,000 के आसपास एक टाइट रेंज में रहा। सुबह 10:00 बजे ET पर कोई अचानक या असामान्य सेल-ऑफ़ नहीं देखा गया।

तीखी गिरावट सेशन के बाद के हिस्से में, मिड-डे US घंटों के करीब आई। BTC कुछ समय के लिए $90,000 से नीचे चला गया, फिर स्टेबल हो गया, जिससे ये पता चलता है कि प्रेशर लेट आया, ओपनिंग पर नहीं।

Bitcoin फ्यूचर्स ओपन इंटरेस्ट सभी बड़े एक्सचेंजेज पर पूरे दिन लगभग स्टेबल रहा। टोटल ओपन इंटरेस्ट लगभग फ्लैट रहा, जिससे ये इंडिकेट होता है कि नए शॉर्ट पोजिशन बड़ी संख्या में नहीं बने।

CME पर, जो इंस्टीट्यूशनल ट्रेडिंग के लिए सबसे ज्यादा जरूरी प्लेटफॉर्म है, ओपन इंटरेस्ट में हल्की सी कमी आई। यह पैटर्न आमतौर पर रिस्क रिडक्शन या हेजिंग का सिग्नल देता है, न कि एग्रेसिव डायरेक्शनल सेलिंग का।

Total BTC Futures Open Interest. Source: CoinGlass

अगर कोई बड़ी प्रॉपर्टरी फर्म कॉर्डिनेटेड सेल-ऑफ़ चला रही होती, तो ओपन इंटरेस्ट में शार्प स्पाइक या कोलैप्स दिखता। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

लिक्विडेशन ने मूव को समझाया

लिक्विडेशन डाटा इस गिरावट को बेहतर तरीके से समझाता है। पिछले 24 घंटों में टोटल क्रिप्टो लिक्विडेशंस $430 मिलियन से ज्यादा रही हैं, जिनमें ज्यादातर लॉन्ग पोजिशन्स की थीं।

सिर्फ Bitcoin में ही $68 मिलियन से ज्यादा की लिक्विडेशन हुई, जबकि Ethereum की लिक्विडेशन इससे भी ज्यादा रही। इससे साफ है कि मार्केट में लीवरेज का फ्लश चला है, ये सिर्फ Bitcoin से जुड़ा इवेंट नहीं है।

12 दिसंबर को क्रिप्टो लिक्विडेशन। स्रोत: CoinGlass

जब प्राइस प्रमुख लेवल्स से नीचे चली जाती है, तो फोर्स्ड लिक्विडेशन गिरावट को और ज्यादा तेज़ कर सकती है। अक्सर इससे मार्केट में अचानक बड़ी गिरावट देखने को मिलती है, वो भी बिना किसी एक बड़े सेलर के।

सबसे खास बात ये रही कि US स्पॉट Bitcoin ETF में 11 दिसंबर को $77 मिलियन का आउटफ्लो हुआ, जबकि पिछले दो दिनों तक लगातार इनफ्लो था। आज की तेज़ प्राइस शॉक का असर इसी मूव में दिखा।

US Bitcoin ETF डेली इनफ्लो। स्रोत: SoSoValue

इस सेल-ऑफ़ को किसी एक venue ने नहीं लीड किया

ये मूव Binance, CME, OKX और Bybit जैसी exchanges में बराबर फैला हुआ था। कहीं भी कोई सेलिंग प्रेशर एक ही जगह या एक इंस्ट्रूमेंट पर केंद्रित नहीं रहा।

ये इसलिए जरूरी है क्योंकि कोऑर्डिनेटेड मैनिपुलेशन अक्सर साबित हो जाती है। इस इवेंट में पूरे मार्केट में एक साथ, ऑटोमेटेड रिस्क अनवाइंड के साथ एक्टिविटी दिखी।

Jane Street की Story बार-बार क्यों लौट रही है

Bitcoin की वोलैटिलिटी अक्सर US मार्केट घंटे के आसपास ही ज्यादा देखने को मिलती है, खासकर ETF ट्रेडिंग, माइक्रो डेटा रिलीज और इंस्टीट्यूशनल पोर्टफोलियो एडजस्टमेंट के कारण। इन स्ट्रक्चरल कारणों से प्राइस मूवमेंट कई बार पैटर्न की तरह दिखती है।

Jane Street की ETF मार्केट मेकिंग में हेल्पर होने की वजह से उस पर अक्सर अनुमान लगते हैं। लेकिन मार्केट मेकिंग में हेजिंग और इन्वेंटरी मैनेजमेंट ज्यादा होता है, डाइरेक्शनल प्राइस अटैक नहीं किए जाते।

आज का मूव क्रिप्टो मार्केट्स में अक्सर दिखने वाला पैटर्न ही है। पहले लीवरेज बढ़ती है, फिर प्राइस खिसकती है, फिर लिक्विडेशन का सिलसिला चलता है और उसके बाद मार्केट में नई स्टोरी बन जाती है।

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