दुनियाभर में क्रिप्टो इंडस्ट्री अब पहले से कहीं ज्यादा सख्त रेग्युलेटरी दौर से गुजर रही है। ग्लोबल मार्केट की उम्मीदों के हिसाब से अब कंप्लायंस (अनुपालन) को मुख्य जगह मिली है, न कि सेकेंडरी प्राथमिकता की तरह जैसे पहले था। अगर आप इन बदलावों को फॉलो कर रहे हैं, तो आपने देखा होगा कि KuCoin ने वेरिफिकेशन स्टैंडर्ड्स, रेग्युलेटरी रजिस्ट्रेशन और कई जरूरी मार्केट्स में क्लियर कंप्लायंस स्ट्रक्चर को लेकर कड़े कदम उठाए हैं। इन स्टेप्स से KuCoin उन कुछ प्लेटफॉर्म्स की लिस्ट में आ गया है जो कंप्लायंस को स्ट्रक्चरल रिक्वायरमेंट के तौर पर प्राथमिकता देती हैं।
पिछले एक महीने में, KuCoin ने दो बड़े कंप्लायंस माइलस्टोन (उपलब्धियां) हासिल की हैं — MiCAR लाइसेंस हासिल किया और AUSTRAC में रजिस्ट्रेशन कराया। इस छोटे से एक्सप्लेनर में, हम KuCoin के चल रहे ट्रांजिशन, उसकी ग्लोबल रेग्युलेटरी प्रोग्रेस और इंडस्ट्री के वाइड कंप्लायंस डायरेक्शन में KuCoin के एप्रोच को समझते हैं।
“People’s Exchange” से भरोसेमंद प्लेटफॉर्म तक
KuCoin ने सबसे पहले “People’s Exchange” के लेबल के साथ ग्रोथ की, जिसमें सभी के लिए पहुंच, ज्यादा प्रोडक्ट्स और कॉम्पिटेटिव फीस पर फोकस था। यह फेज़ उस समय इंडस्ट्री के लिए सही था जब तेजी से इनोवेशन हो रहा था और रेग्युलेटरी नजर काफी धीमी थी।
जैसे-जैसे ट्रेडिंग वॉल्यूम, यूज़र्स की संख्या और इंस्टीट्यूशनल दिलचस्पी बढ़ी, सिर्फ ग्रोथ ही मेन टारगेट नहीं रही। खासकर जब बड़े एक्सचेंजेज़ को स्ट्रिक्ट यूजर वेरिफिकेशन, फंड सेग्रेगेशन, मार्केट सर्विलांस और इन्सिडेंट रिस्पॉन्स जैसी चीज़ों का सामना करना पड़ा।
इन सेक्टर्स में कोई भी कमजोरी लीगल व कंप्लायंस रिस्क के साथ-साथ कंपनी की रेपुटेशन और सिस्टमेटिक खतरे बढ़ा सकती है।
KuCoin के “Trust First” अप्रोच की वजह यही बदलती इंडस्ट्री डाइनमिक्स हैं। प्लेटफॉर्म की आगे की सिक्योरिटी और कंप्लायंस सेंट्रिक सोच इन बातों पर बेस्ड है:
- प्लेटफॉर्म पर अनिवार्य KYC (2023 से ही लागू हो गया);
- जरूरी देशों में ब्रॉडर लाइसेंसिंग ड्राइव; और
- SOC 2 और ISO जैस एक्सटर्नल सिक्योरिटी सर्टिफिकेशन।
ग्लोबल compliance footprint: jurisdictions और रेग्युलेटरी प्रोग्रेस
यह स्ट्रैटेजी में बदलाव तब और सही लगता है जब आप 2023-2024 के बाद से KuCoin की रेग्युलेटरी एक्टिविटी को देखते हैं। कंपनी अब कई ज़ोन में रेग्युलेटर्स के साथ ज्यादा क्लियर और स्ट्रक्चर्ड रिलेशनशिप बना रही है, जिसमें हर रीजन के अलग-अलग रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड्स, इंटरनल कंट्रोल्स और कंडक्ट रिक्वायरमेंट्स शामिल हैं।
यह लेटेस्ट कंप्लायंस फेज तब और क्लीयर हुआ जब मार्च 2024 में KuCoin ने इंडिया के Financial Intelligence Unit के तहत फॉर्मल रजिस्ट्रेशन कराया। इस स्टेप से KuCoin दुनिया के सबसे बड़े डिजिटल एसेट मार्केट्स में AML और CFT फ्रेमवर्क का हिस्सा बन गया।
इसके बाद कंपनी ने European Union, Poland, Czech Republic और El Salvador जैसे एरिया में रेग्युलेटरी स्टेटस हासिल करने या उसकी प्रक्रिया शुरू की। हर देश की अलग डिस्क्लोज़र, इंटरनल कंट्रोल्स और यूज़र प्रोटेक्शन पॉलिसी थी, जिससे KuCoin को सभी रीजन में एक कंसिस्टेंट अप्रोच अपनानी पड़ी।
ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में KuCoin ने एक नया उपलब्धि हासिल की है। KuCoin ने AUSTRAC डिजिटल करंसी एक्सचेंज के रूप में रजिस्ट्रेशन Secure किया है, जिससे इसकी ऑस्ट्रेलियाई इकाई अब डिजिटल एसेट सर्विसेज के लिए सीधे निरीक्षण में आ गई है।
इन सभी फैक्टर्स को ध्यान में रखते हुए, ये कदम यह साफ दर्शाते हैं कि कंपनी एक ज्यादा प्रिडिक्टेबल और पारदर्शी कंप्लायंस फ्रेमवर्क की ओर जा रही है। अब यह एक्सचेंज ऐसे मार्केट्स के रेग्युलेटर्स के साथ इंटरैक्ट कर रही है, जो नियमों को ढीला करने के बजाय और सख्त बना रहे हैं। इससे KuCoin का ऑपरेशनल मॉडल लगातार बाहरी रिव्यू में रहेगा।
इंडस्ट्री पर असर: ग्लोबल क्रिप्टो स्टैंडर्ड्स से बढ़ी उम्मीदें
यह वाइड रेग्युलेटरी फुटप्रिंट KuCoin को कई कंप्लायंस फ्रेमवर्क्स का हिस्सा बनाने के साथ साथ बड़े एक्सचेंजों पर भी असर डालता है।
जैसे ही EU, India, Australia और Hong Kong जैसे इलाकों में रेग्युलेटर्स ने ज्यादा सख्त आइडेंटिटी नियम और क्लियर ऑपरेशनल रिक्वायरमेंट्स लागू करने शुरू किए, पूरे सेक्टर का लेवल और ऊपर चला गया।
अब प्लेटफॉर्म्स को कस्टडी मॉडल, लिक्विडिटी कंट्रोल्स, इंटरनल ऑडिट्स, और सुपरवाइजरी बॉडीज़ को डिस्क्लोज़र की सख्त जांच पड़ताल झेलनी पड़ रही है। कोई भी एक्सचेंज जो कई क्षेत्रों में ऑपरेट करता है, उसे अपनी पॉलिसी उसी मार्केट के अनुसार करनी होगी, जहां नियम सबसे सख्त हैं, वहां सबसे आसान नहीं।
इससे सशक्त वेरिफिकेशन स्टैंडर्ड्स, क्लियरर रिपोर्टिंग स्ट्रक्चर और ज्यादा प्रिडिक्टेबल ओवरसाइट की जरूरत बढ़ जाती है।
KuCoin का अप्रोच अब तक इसी ट्रेंड के अनुसार है। इसके रजिस्ट्रेशंस और सर्टिफिकेशंस दिखाते हैं कि जब रेग्युलेटर्स अलग-अलग जुरिस्डिक्शन्स में कंसिस्टेंसी की उम्मीद करते हैं, तो बड़े एक्सचेंजों को कैसे एडजस्ट करना चाहिए।
कंपनी का रियलाइन्मेंट इंडस्ट्री की मौजूदा दिशा को भी हाइलाइट करता है:
- कम ऑप्शनल रूल्स
- ज्यादा अनिवार्य चेक्स
- क्लियर डिवाइड कंप्लायंट ऑपरेशंस और हाई-रिस्क मॉडल्स के बीच
यह बदलाव सिर्फ यूज़र्स की पहुंच को ही नहीं बदलता, बल्कि यह भी तय करता है कि मार्केट्स में लिक्विडिटी कैसे फ्लो करती है, इंस्टीट्यूशनल प्लेयर्स अपने पार्टनर्स को कैसे आंकते हैं, और एक्सचेंजेज़ ट्रेडिशनल फाइनेंस जैसे फ्यूचर रेग्युलेशन के लिए कैसे तैयार होते हैं।
KuCoin का मौजूदा फेज़ उस ट्रांजिशन की एक मिसाल है। अगला सेक्शन ये बताएगा कि उसका रेग्युलेटरी रास्ता आगे कहां जा सकता है।
KuCoin की रेग्युलेटरी रोडमैप
यह मल्टी-रीजन अप्रोच अब KuCoin के अगले फेज़ की नींव रख रहा है, जिसमें अब उन मार्केट्स में रेग्युलेटर्स के साथ गहरी कोऑर्डिनेशन की जरूरत होगी, जो ओवरसाइट को और स्ट्रॉन्ग करना चाहते हैं।
AUSTRAC उपलब्धि साफतौर पर इसी दिशा को दर्शाती है। साथ ही, यह कंपनी से योरप, एशिया और लैटिन अमेरिका में आगे के कदमों के लिए भी उम्मीदें बढ़ाती है।
प्रैक्टिकली, अगला स्टेज तीन मुख्य एरियाज के इर्दगिर्द घूमेगा।
- सबसे पहले, कंपनी उनसे उन ज्यूरीस्डिक्शन में अपनी लाइसेंसिंग संबंधी गतिविधियों को बढ़ाने की उम्मीद है, जहाँ अब नियमों में ज्यादा सख्त खुलासा, क्लियर कस्टडी मॉडल और क्लाइंट एसेट्स की स्ट्रॉन्ग सेग्रीगेशन की जरूरत है।
- दूसरा, उन क्षेत्रों में जहां नए डिजिटल एसेट फ्रेमवर्क आ चुके हैं। इसमें यूरोपियन यूनियन (MiCA के तहत) और Hong Kong (उसके लाइसेंसिंग रेगाइम के तहत) शामिल हो सकते हैं, क्योंकि अब इन जगहों पर exchanges को अपने इंटर्नल कंट्रोल्स को लगातार अपडेट करना अनिवार्य हो गया है (सिर्फ रजिस्ट्रेशन के समय ही नहीं)।
- तीसरा, KuCoin के सामने सभी मार्केट्स में अपनी वेरिफिकेशन, मॉनिटरिंग और रिपोर्टिंग सिस्टम्स को एक जैसा बनाकर रखने की चुनौती है। ऐसा इसलिए है ताकि यूज़र्स और रेग्युलेटर्स हर रीजन में अलग-अलग स्टैंडर्ड न देखें।
ध्यान दें कि ये अपेक्षाएँ सिर्फ KuCoin पर ही लागू नहीं होती हैं। बल्कि ये उस बड़े ट्रेंड को दर्शाती हैं, जिसमें अब प्रमुख exchanges कई तरह के रेग्युलेटरी environment में, अलग-अलग maturation लेवल्स के साथ चल रहे हैं।
जो प्लेटफॉर्म्स ग्लोबल स्तर पर अपने पैर जमा चुके हैं, उन्हें दिखाना पड़ेगा कि उनका compliance मॉडल उनके footprint के सबसे सख्त नियमों के तहत भी काम करता है। इससे पूरे इंडस्ट्री के लिए एक समान स्टैंडर्ड तैयार होता है।
KuCoin के आगे का रास्ता
KuCoin के अगले स्टेप्स इन्हीं बदलती डाइनैमिक्स के बीच तय होंगे। इसका मौजूदा स्ट्रक्चर पहले ही AUSTRAC ओवरसाइट, भारत में FIU रजिस्ट्रेशन, यूरोपियन और Hong Kong रेग्युलेटर्स से बातचीत, और एक्सटर्नल सिक्यॉरिटी सर्टिफिकेशन शामिल करता है।
अगला फेज शायद इन फ्रेमवर्क्स की गहरी कंसोलिडेशन का होगा, जिसमें ट्रांसपेरेंसी, ऑडिटेबिलिटी और अलग-अलग मार्केट्स में बदलते डिजिटल एसेट रेग्युलेशन के बीच कंसिस्टेंट रूल अप्लिकेशन पर फोकस रहेगा।