रूस-यूक्रेन युद्ध लगभग 4 साल से जारी है। पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों का मकसद रूस को फाइनेंशियली अलग-थलग करना था। लेकिन इन प्रतिबंधों ने रूस को खुद को बदलने के लिए मजबूर कर दिया।
2025 में, BeInCrypto ने यह डॉक्युमेंट करना शुरू किया कि रूस और रूस से जुड़े लोगों ने पेमेंट ट्रांसफर के लिए क्रिप्टो का इस्तेमाल करके अपने रास्ते कैसे बनाए। इसमें सिर्फ एक exchange या token नहीं बना, बल्कि एक मजबूत सिस्टम उभरा, जिसे फ्रीज, सीज़र और enforcement में डिले जैसी स्थितियों में भी चलने के लिए तैयार किया गया था।
यह इन्वेस्टिगेशन क्रोनोलॉजिकल ऑर्डर में इसी सिस्टम को फिर से बनाता है, जो ऑन-चेन फॉरेंसिक एनालिसिस और ट्रांजैक्शन्स को ट्रैक करने वाले इन्वेस्टिगेटर्स के इंटरव्यू पर बेस्ड है।
शुरुआती चेतावनी संकेत आपराधिक नहीं थे
शुरुआती संकेत रैनसमवेयर या डार्कनेट मार्केट्स की ओर नहीं थे। ये संकेत ट्रेड की तरफ थे।
ऑथॉरिटीज़ ने नए सवाल उठाने शुरू किए कि इम्पोर्ट के लिए पैसा बॉर्डर के पार कैसे जा रहा है, ड्यूल-यूज़ गुड्स की पेमेंट कैसे हो रही है और बिना बैंकों के सेटलमेंट कैसे हो रहे हैं।
साथ ही, ऑन-चेन डेटा ने रूसी OTC डेस्क्स में तेज़ ऐक्टिविटी दिखाई। Russian OTC लिक्विडिटी होस्ट करने वाले exchange में भी वॉल्यूम खासकर एशिया में बढ़ते दिखे।
इसी दौरान, Telegram ग्रुप्स और डार्कनेट फोरम्स में खुलेआम सैंक्शन से बचने के तरीके डिस्कस किए जाने लगे। ये बातचीत छुप-छुप कर नहीं हो रही थी। यहां प्रैक्टिकल मेथड्स बताए जा रहे थे कि बिना बैंक के बॉर्डर पार वैल्यू कैसे ट्रांसफर करनी है।
ये तरीका काफी सिंपल था। OTC डेस्क्स लोकली रूबल्स में पेमेंट लेते थे, कई बार कैश में भी। इसके बदले में वे stablecoin या क्रिप्टो देते थे। वो क्रिप्टो विदेश में सेटल होती थी, जहां इसे लोकल करंसी में कन्वर्ट किया जा सकता था।
Garantex ने Russia का क्रिप्टो लॉन्डरिंग हब चलाया
Garantex ने इस इकोसिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ये OTC डेस्क्स, माइग्रेंट्स और ट्रेड से जुड़े पेमेंट्स के लिए लिक्विडिटी हब की तरह ऑपरेट करने लगा।
शुरुआती सैंक्शन्स के बाद भी Garantex विदेशी रेगुलेटेड exchanges के साथ इंटरैक्ट करता रहा। ये एक्टिविटी महीनों तक चलती रही।
जब enforcement आखिरकार तेज़ हुई, तो एक्सपेक्टेशन थी कि गैप आएगा। लेकिन आगे जो हुआ, वो प्रिपरेशन थी।
“यहाँ तक कि जो लोग Russia छोड़ रहे थे, वे भी अपना पैसा बाहर निकालने के लिए Garantex का इस्तेमाल कर रहे थे। अगर आप Dubai जैसे देशों में शिफ्ट हो रहे थे, तो जब ट्रेडिशनल बैंकिंग के रास्ते बंद हो गए, तब फंड ट्रांसफर करने का यह एक मुख्य तरीका बन गया। कई Russians के लिए, जो देश छोड़ने की कोशिश कर रहे थे, Garantex एक प्रैक्टिकल एग्जिट रूट बन गया। बैंक और SWIFT जब विकल्प नहीं रहे, तब पैसा विदेश भेजने के लिए यह गिने-चुने तरीकों में से एक था,” Global Ledger के CEO Lex Fisun ने बताया।
सीज़र के बाद रिज़र्व के लिए मची होड़
मार्च 2025 में जब Garantex की इन्फ्रास्ट्रक्चर जब्त की गई, उसी दिन एक लिंक्ड Ethereum वॉलेट ने तेजी से 3,200 से ज़्यादा ETH कंसोलिडेट की। कुछ घंटों के अंदर, लगभग पूरा बैलेंस Tornado Cash में ट्रांसफर हो गया।
यह मूवमेंट अहम था। Tornado Cash कभी भी पेरआउट्स नहीं देता। यह ट्रांजैक्शन हिस्ट्री को तोड़ देता है।
कुछ ही दिनों बाद, स्लिप्ट Bitcoin रिज़र्व्स मूव होने लगे। वॉलेट्स जो 2022 से टच नहीं हुए थे, उन्होंने BTC को कंसोलिडेट किया। यह कोई पैनिक सेलिंग नहीं थी। यह दबाव में ट्रेजरी मैनेजमेंट था।
तो, यह क्लियर हो गया कि stablecoin कंट्रोल के बाहर की असेट्स अब भी एक्सेस में थी।
नई Successor तुरंत सामने आया
जब Garantex तक एक्सेस कम होती गई, तो एक नई सर्विस सामने आई।
Grinex ने चुपचाप लॉन्च किया और उसने USDT सपोर्ट करना शुरू किया। ट्रेस्ड फ्लोज़ TRON से होते हुए Grinex-कनेक्टेड इन्फ्रास्ट्रक्चर तक पहुंचे। यूज़र्स ने रिपोर्ट किया कि उनका बैलेंस नए नाम पर फिर से दिख रहा है।
“शायद यह अब तक का सबसे ज़्यादा साफ रिब्रांड था, जो हमने देखा। नाम लगभग वही था, वेबसाइट भी लगभग वैसी ही थी और जिन्होंने Garantex में एक्सेस खो दी थी, उनके बैलेंस Grinex में फिर से दिखने लगे,” Fisun ने BeInCrypto को बताया।
जुलाई 2025 के अंत में, Garantex ने अपने पूर्व यूज़र्स को Bitcoin और Ethereum में पेआउट की पब्लिक घोषणा कर दी थी। ऑन-चेन डेटा से पता चलता है कि ये सिस्टम पहले से ही लाइव था।
कम से कम $25 मिलियन की क्रिप्टो डिस्ट्रीब्यूट की जा चुकी थी। काफी बड़ी राशि अब भी छुई नहीं गई थी।
पेआउट स्ट्रक्चर एक साफ पैटर्न को फॉलो करता था जहां रिजर्व्स को मिक्सर्स, एग्रीगेशन वॉलेट्स और क्रॉस-चेन ब्रिजेज से होकर यूज़र्स तक लेयर किया गया था।
Ethereum के पेमिएंट्स में रही Complexity की भूमिका
Ethereum पेआउट में जानबूझकर कन्फ्यूजन डाली गई थी। फंड्स पहले Tornado Cash से गुजरते, फिर एक DeFi प्रोटोकॉल, उसके बाद कई चेन से, मूव होते थे। ट्रांसफर पहले Ethereum, फिर Optimism और Arbitrum में बाउंस होते हुए पेआउट वॉलेट्स में आते थे।
इतनी कॉम्प्लेक्सिटी के बावजूद, ETH रिजर्व्स का सिर्फ एक छोटा हिस्सा ही यूज़र्स तक पहुंच पाया। 88% से ज्यादा अब भी टच नहीं हुआ, जिससे पता चलता है पेआउट अभी शुरुआती स्टेज में है।
Bitcoin पेआउट्स ने अलग कमजोरी उजागर की
Bitcoin पेआउट्स सिंपल और ज्यादा सेंट्रलाइज्ड थे।
इन्वेस्टिगेटर्स ने कई पेआउट वॉलेट्स आईडेंटिफाई किए, जो एक सिंगल एग्रीगेशन हब से जुड़े थे, जहां करीब 200 BTC रिसीव हुए थे। ये हब सीज़र के महीनों बाद भी एक्टिव रहा।
और भी चौंकाने वाला था कि अगले फंड्स कहां ट्रांसफर हुए।
सोर्स वॉलेट्स बार-बार ऐसे डिपॉज़िट अड्रेस से इंटरैक्ट कर रहे थे, जो दुनियाभर के सबसे बड़े सेंट्रलाइज्ड एक्सचेंजेस में से एक से जुड़े थे। ट्रांजैक्शन “चेंज” कंसिस्टेंटली वहीं वापस जाता था।
Western sanctions असरदार क्यों नहीं हो पाईं
Western sanctions नदारद नहीं थी, लेकिन यह देर से, असमान रूप से और धीरे लागू हुई।
जब तक Garantex को पूरी तरह से डिसरप्ट किया गया, इन्वेस्टिगेटर्स ने उसके वॉलेट्स से अरबों $ की ट्रांजैक्शन को डॉक्युमेंट कर लिया था।
सैनक्शंस लगने के बाद भी ये एक्सचेंज रेग्युलेटेड प्लेटफॉर्म्स के साथ इंटरैक्ट करती रही, क्योंकि डेजिग्नेशन, एनफोर्समेंट और कंप्लायंस अपडेट्स के बीच डिले का फायदा उठाया गया।
यहां असली समस्या लीगल अथॉरिटी की कमी नहीं थी। असली समस्या थी sanctions enforcement और क्रिप्टो इन्फ्रास्ट्रक्चर के बीच स्पीड मिसमैच। जहां रेग्युलेटर्स कई हफ्ते या महीने लेते हैं, वहीं क्रिप्टो सिस्टम्स कुछ घंटों में ही लिक्विडिटी को रीरूट कर देते हैं।
“सैंक्शंस कागज़ पर काम करते हैं। असली समस्या है उनके क्रियान्वयन में। बिलियन डॉलर अब भी ट्रांसफर हो सकते हैं, क्योंकि इनफोर्समेंट धीमा, बिखरा हुआ रहता है और क्रिप्टो सिस्टम्स जितनी जल्दी एडॉप्ट होते हैं, उतनी तेजी से पीछे रह जाता है। दिक्कत यह नहीं कि सैंक्शंस नहीं हैं, दिक्कत है कि इन्हें क्रिप्टो की स्पीड के मुकाबले बहुत धीरे लागू किया जाता है,” Global Ledger के CEO ने कहा।
यही गैप Garantex को एडॉप्ट करने का मौका देता रहा। वॉलेट्स बार-बार बदले जाते रहे। हॉट वॉलेट्स अचानक और अनप्रिडिक्टेबल तरीके से बदल जाते थे। बची हुई बैलेंस को ऐसे ट्रांसफर किया जाता था कि वह नार्मल एक्सचेंज एक्टिविटी जैसा दिखे, जिससे ऑटोमेटेड कंप्लायंस सिस्टम्स कम असरदार हो जाते थे।
प्राइवेट सेक्टर के लिए इसके साथ तालमेल बिठाना मुश्किल रहा। बैंक्स और एक्सचेंजेस को कंप्लायंस ड्यूटी, ट्रांजेक्शन स्पीड, कस्टमर एक्सपीरियंस और ऑपरेशनल कॉस्ट के बीच बैलेंस करना पड़ता है।
ऐसे माहौल में, कई बार सैंक्शन वाले ट्रांजेक्शन तब भी निकल सकते हैं जब एक्टिविटी से कोई सीधा अलार्म या रेड फ्लैग नहीं दिखता।
अक्टूबर 2025 तक भी, पAYOUT इन्फ्रास्ट्रक्चर एक्टिव था। रिज़र्व्स बाकी थे। रूट्स खुले थे।
यह किसी exchange का पतन नहीं था, बल्कि एक सिस्टम का एवल्यूशन था।
2025 में Russia की क्रिप्टो स्ट्रैटेजी ने दिखाया कि किस तरह एक सैंक्शन वाली इकॉनमी, समानांतर रास्ते बनाकर, लिक्विडिटी बचाकर और जब ब्लॉक हो जाये तो रिरूट करके खुद को एडजस्ट कर लेती है।