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US Banks ने कहा OCC के क्रिप्टो चार्टर्स से बैंकिंग सिस्टम हो सकता है कमजोर

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के द्वारा लिखा गया
Oluwapelumi Adejumo

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Mohammad Shahid

13 दिसंबर 2025 13:00 UTC
विश्वसनीय
  • US बैंकिंग ग्रुप्स ने OCC द्वारा कई क्रिप्टो फर्मों को नेशनल ट्रस्ट चार्टर देने की मंजूरी पर कड़ी आलोचना की
  • उनका कहना है कि ये चार्टर्स बैंक जैसी स्थिति तो देते हैं लेकिन इनमें Federal Deposit Insurance Corp. (FDIC) की कवरेज या पूरी कैपिटल और लिक्विडिटी रिक्वायरमेंट्स नहीं होती
  • इन ग्रुप्स ने चेतावनी दी है कि इससे कंज्यूमर्स कन्फ्यूज हो सकते हैं, रेग्युलेटरी आर्बिट्रेज को बढ़ावा मिल सकता है और रेग्युलेटर्स इंडस्ट्री में फेलियर मैनेज करने के लिए तैयार नहीं रहेंगे

अमेरिका की बैंकिंग इंडस्ट्री ने Office of the Comptroller of the Currency (OCC) के अप्रोच के खिलाफ मिलकर विरोध किया है। यह विरोध खास तौर पर उस रेग्युलेटर की कोशिशों के खिलाफ है जिसमें वह क्रिप्टोकरेन्सी फर्म्स को फेडरल बैंकिंग सिस्टम में शामिल करना चाहता है।

12 दिसंबर को, OCC ने पांच डिजिटल एसेट फर्म्स – Ripple, Fidelity, Paxos, First National Digital Currency Bank, और BitGo – को नेशनल ट्रस्ट चार्टर के लिए सशर्त अप्रूवल दिया था। बैंक रेग्युलेटर ने यह भी बताया कि इन क्रिप्टो एप्लीकेंट्स का भी उतनी ही ‘सख्त जांच’ हुई है जितनी किसी भी नेशनल बैंक चार्टर एप्लीकेंट की होती है।

US banking industry ने OCC के कदम को दी चुनौती

हालांकि, American Bankers Association (ABA) और Independent Community Bankers of America (ICBA) का कहना है कि OCC की ये कार्रवाई बैंकिंग सिस्टम को दो स्तरों में बांट देती है।

इनका मुख्य तर्क है कि फिनटेक और क्रिप्टो फर्म्स को प्रेस्टिजियस नेशनल चार्टर मिल रहा है जबकि उन पर Federal Deposit Insurance Corp. (FDIC) कवरेज या पारंपरिक बैंकिंग की कैपिटल और लिक्विडिटी स्टैंडर्ड्स की आवश्यकता नहीं होती, जो फुल-सर्विस बैंक्स के लिए जरूरी हैं।

इन बैंकिंग ग्रुप्स का मानना है कि यह स्ट्रक्चर फेडरल स्तर पर जिसको वो रेग्युलेटरी आर्बिट्राज कहते हैं, उसे बढ़ावा देता है।

नेशनल चार्टर पाकर, ये क्रिप्टो फर्म्स फायदा ले सकती हैं स्टेट मनी ट्रांसमिटर लॉज़ से फेडरल स्तर पर छूट का। साथ ही, वो कई ऐसे कंप्लायंस ओबलिगेशन से बच जाती हैं जो इनश्योर्ड डिपॉजिटरी संस्थाओं पर लागू होते हैं।

ABA के प्रेसिडेंट Rob Nichols ने कहा कि ये अप्रूवल्स “बैंक की परिभाषा” की सीमा को धुंधला कर देते हैं। उनका कहना है कि इससे बैंकिंग चार्टर की वैल्यू कमजोर हो सकती है।

उनके अनुसार, ऐसी फर्म्स को ट्रस्ट पॉवर्स देना, जो पारंपरिक fiduciary ड्यूटी नहीं निभातीं, एक नए तरह के इंस्टीट्यूशन्स बना देता है जो नाम और दायरे में बैंक्स जैसे लगते हैं, लेकिन उन पर वैसा ऑवरसाइट नहीं रहता।

उनकी चिंता सिर्फ कॉम्पिटिशन तक सीमित नहीं है।

बैंकिंग ग्रुप्स का कहना है कि कंज्यूमर्स के लिए इनश्योर्ड बैंक्स और नेशनल ट्रस्ट इंस्टीट्यूशन्स में फर्क कर पाना मुश्किल हो सकता है, खासकर उन्हें जिन्हें करोड़ों डॉलर की अनइंशोर्ड क्रिप्टो एसेट्स होल्डिंग्स हैं।

उनका तर्क है कि OCC ने यह ठीक से एक्सप्लेन नहीं किया कि ऐसे किसी इंस्टीट्यूशन के फेल हो जाने पर वह कैसे मैनेज करेगा, खासकर तब जब वह ट्रेडिशनल सेफ्टी नेट से बाहर, बिलियन डॉलर के डिजिटल एसेट्स होल्ड कर रहा हो।

ICBA चार्टर्स रोकने की मांग कर रहा है

ICBA ने भी OCC की कानूनी अथॉरिटी को सीधे तौर पर चैलेंज किया है कि क्या उसके पास ऐसे चार्टर जारी करने का अधिकार है।

इस समूह ने अपनी आलोचना Interpretive Letter No. 1176 पर केंद्रित की। इस गाइडेंस ने ट्रस्ट बैंकों को नॉन-फिड्यूशियरी गतिविधियों में हिस्सा लेने की अनुमति दी जैसे कि स्टेबलकॉइन रिजर्व्स की कस्टडी।

ICBA की प्रेसिडेंट Rebeca Romero Rainey ने इस कदम को “ड्रामैटिक पॉलिसी चेंज” बताया, जो नेशनल ट्रस्ट चार्टर के ऐतिहासिक उद्देश्य से काफी आगे बढ़ता है।

“OCC का यह ड्रामैटिक पॉलिसी चेंज, Interpretive Letter #1176 के तहत, पारंपरिक ट्रस्ट कंपनियों की भूमिका से हटकर है और यह रेग्युलेटरी फ्रेमवर्क को असंगत बनाता है, जिससे फाइनेंशियल इंस्टेबिलिटी का खतरा बढ़ता है — इसी कारण एजेंसी को अपना रुख बदलना चाहिए,” Rainey ने कहा।

इस समूह का कहना है कि OCC गैर-बैंक फिनटेक कंपनियों को US बैंकिंग सिस्टम की विश्वसनीयता “उधार लेने” की इजाज़त दे रहा है, जबकि उनपर वे सभी रेग्युलेशंस लागू नहीं हो रहे जो इंश्योर्ड इंस्टीट्यूशंस पर होते हैं।

इसी बात को ध्यान में रखते हुए, दोनों ट्रेड ग्रुप्स ने तुरंत approvals को रोकने और रद्द करने की मांग की है।

उनका कहना है कि वर्तमान फ्रेमवर्क ऐसे संस्थानों को जन्म दे सकता है, जिन्हें OCC “सही तरीके से सुलझाने में सक्षम नहीं” है। उनके मुताबिक, ऐसी असफलता से पारंपरिक बैंक्स और पूरे फाइनेंशियल सिस्टम को जोखिम हो सकता है।

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