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क्या Web3 क्राउडलेंडिंग DeFi निवेशकों के लिए सस्टेनेबल यील्ड मॉडल बन सकता है? 8lends के Aleksander Lang से बातचीत

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Lynn Wang

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Shilpa Lama

23 दिसंबर 2025 10:00 UTC
विश्वसनीय

इस साल की शुरुआत में, Gold Car Rent, जो कि दुबई की एक कॉर्पोरेट व्हीकल रेंटल कंपनी है, ने अपनी फ्लीट बढ़ाने और लॉन्ग-टर्म कॉर्पोरेट क्लाइंट्स की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए ग्रोथ कैपिटल की तलाश की।

पारंपरिक बैंक फाइनेंसिंग की बजाय, कंपनी ने 8lends द्वारा कैपिटल जुटाया। यह एक Web3-बेस्ड क्राउडलेंडिंग प्लेटफॉर्म है, जो ग्लोबल इन्वेस्टर्स को रियल-वर्ल्ड बिज़नेस लोन से जोड़ता है।

इस फाइनेंसिंग में कोलेट्रल के तौर पर Gold Car Rent की Mercedes-Benz Vito वैन की पूरी फ्लीट को रखा गया, जिसे एप्राइज़ किया गया और उसी के आधार पर लोन सिक्योर किया गया।

लोन कैपिटल को स्टेप्स में रिलीज़ किया गया था। हर ट्रांश केवल जरूरी डॉक्युमेंट्स और इनवॉइस वेरीफाई होने के बाद ही अनलॉक हुआ। रीपेमेंट, लॉन्ग-टर्म B2B रेंटल कॉन्ट्रैक्ट्स से मिले ऑपरेटिंग इनकम से किया जा रहा है।

इस स्ट्रक्चर में, इन्वेस्टर्स देख सकते हैं कि रिटर्न्स सीधे बिज़नेस परफॉर्मेंस से जुड़े हैं, न कि कोई कॉम्प्लेक्स यील्ड स्ट्रक्चर से। कंपनी के लिए, यह अरेंजमेंट ग्लोबल कैपिटल तक पहुंच देता है, वो भी बिना अंडरराइटिंग स्टैंडर्ड को कम किए।

Gold Car Rent की स्टोरी दिखाती है कि कैसे DeFi यील्ड सेगमेंट में पीयर-टू-पीयर (P2P) लेंडिंग मैकेनिज्म के जरिए शांति से बदलाव आ रहा है। इसी को समझने के लिए, BeInCrypto ने हाल ही में Maclear के CFO और Co-Founder Aleksander Lang से बात की — जो 8lends के पीछे की कंपनी है।

हमने जाना कि इन्वेस्टर्स अब स्टेबल-इनकम क्राउडलेंडिंग की तरफ क्यों जा रहे हैं, 8lends जैसे प्लेटफॉर्म Web3 इन्फ्रास्ट्रक्चर में इंस्टीट्यूशनल क्रेडिट प्रैक्टिस को कैसे एडॉप्ट कर रहे हैं, और क्या यह मॉडल क्रिप्टो इन्वेस्टर्स के लिए एक सस्टेनेबल पैसिव इनकम सोर्स बन सकता है।

दो मॉडल, दो रिस्क प्रोफाइल्स

पीयर-टू-पीयर लेंडिंग या क्राउडलेंडिंग, क्रिप्टो और DeFi से बहुत पहले से मौजूद है। मार्केटप्लेस लेंडिंग प्लेटफॉर्म सालों से इन्वेस्टर्स को उन छोटे बिज़नेस से जोड़ते हैं, जिन्हें पारंपरिक बैंक लोन नहीं देते। यहां आइडिया सिंपल था: रियल इकोनॉमिक एक्टिविटी को फंड करके फिक्स्ड रिटर्न कमाएं।

लेकिन इस मॉडल में भी कुछ समझौते करने पड़ते हैं। चूंकि कई P2P प्लेटफॉर्म ऐसे बॉरोअर्स को भी लोन देते हैं जो रेगुलर बैंक क्राइटेरिया में फिट नहीं होते, इस वजह से डिफॉल्ट रिस्क पारंपरिक लेंडिंग से ज्यादा हो सकता है। क्रेडिट लॉसेज काफी हद तक प्लेटफॉर्म के अंडरराइटिंग स्टैंडर्ड्स, लोन स्ट्रक्चर, रिकवरी प्रोसेस और बॉरोअर्स के मेन बिज़नेस परफॉर्मेंस पर निर्भर करते हैं।

साथ ही, बहुत सारे पारंपरिक P2P प्लेटफॉर्म्स जूरिस्डिक्शनल लिमिटेशन में बंधे रहते हैं, जिससे इन्वेस्टर्स का एक्सेस और क्रॉस-बॉर्डर डाइवर्सिफिकेशन सीमित हो जाता है। रिस्क मैनेजमेंट और एंफोर्समेंट भी उसी देश के कानूनों पर निर्भर करता है।

डिसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस (DeFi) ने इसी समस्या को बिल्कुल अलग एंगल से देखा। DeFi लेंडिंग प्रोटोकॉल स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट के जरिए यूजर्स को क्रिप्टो एसेट्स लेंड और बॉरो करने की सुविधा देते हैं। इनमें अक्सर ओवरकोलेट्रलाइजेशन और ऑटोमेटेड लिक्विडेशन से डिफॉल्ट रिस्क मैनेज किया जाता है।

इंटरमीडियरी और जियोग्राफिक बाउंड्रीज़ हटाकर, DeFi ने लेंडिंग मार्केट्स में एक्सेस बढ़ाई और कैपिटल एफिशिएंसी के अलग-अलग तरीके पेश किए।

अपने शुरुआती ग्रोथ फेज़ में, DeFi यील्ड इकोसिस्टम के कुछ हिस्सों में लेंडिंग इनकम और इंसेंटिव-ड्रिवन रिटर्न्स के बीच की लाइन धुंधली हो गई थी। कुछ प्रोटोकॉल ऑर्गेनिक लेंडिंग यील्ड्स में टोकन एमिशन जोड़ते थे या लिक्विडिटी और कोलेट्रल स्टेबिलिटी को लेकर अधिक आशावादी अनुमान लगा लेते थे।

Anchor Protocol on Terra इसका सबसे बड़ा उदाहरण बना। उसके पीक टाइम पर, यह UST डिपॉजिट्स पर करीब 20% APY दे रहा था, जिसमें लेंडिंग एक्टिविटी के साथ-साथ सब्सिडाइज़्ड रिवॉर्ड्स भी दिए जाते थे। जब 2022 में उसकी स्टेबलकॉइन फेल हुई, तो पूरा स्ट्रक्चर ही गिर गया।

DeFi के बूम और बस्ट के बाद इन्वेस्टर्स फिर से यील्ड को लेकर सोच रहे हैं

हालांकि, Terra की असफलता ने इंडस्ट्री को यह समझने के लिए मजबूर कर दिया कि आखिर ये यील्ड्स कितनी टिकाऊ हैं। Lang ने देखा कि निवेशकों के बीच भी ऐसा ही बदलाव नजर आने लगा। हाई-यील्ड नैरेटिव्स में भरोसा जरूर कम हुआ, लेकिन उन्होंने नोट किया कि यूज़र्स ने खुद क्रिप्टो को नहीं ठुकराया।

“लोगों को क्रिप्टो अब भी पसंद है, इसमें जो सुविधाएं हैं जैसे आसानी, स्पीड और ग्लोबल एक्सेस, वो सब उनकी वजह से जुड़े रहते हैं। लेकिन जब कई हाई-यील्ड प्रोजेक्ट्स डूबते दिखे, तो उनकी सोच बदलने लगी। जब कोई प्लेटफॉर्म ‘20% रिस्क-फ्री’ रिटर्न्स का वादा कर रातों-रात गायब हो जाए या कोई बड़ा सर्विस अचानक विदड्रॉल फ्रीज़ कर दे, तो इससे यूज़र्स पर गहरा असर पड़ता है।”

तो यूज़र्स ने अगली APY के पीछे भागने की जगह ऐसे प्रोडक्ट्स ढूंढने शुरू कर दिए, जो असली बिजनेस एक्टिविटी पर आधारित हों। उन्हें ये क्लियरली समझना था कि पैसा कहां से आ रहा है, बॉरोअर कौन है, और रिटर्न्स कैसे जनरेट हो रहे हैं। रियल कैश फ्लो — न कि सिर्फ स्लोगन या मार्केटिंग — यही यूज़र्स चाहते हैं,” Lang ने कहा।

Lang के मुताबिक, Web3 क्राउडलेंडिंग इन दोनों वर्ल्ड्स के बीच बैठती है। यहां रिटर्न्स को फिर से इन्वेंट करने की बजाए, पहले से बने-बनाए लेंडिंग मैकेनिज़्म, ब्लॉकचेन पर काम करते हैं, जिससे एक्सेस बढ़े, ट्रांसपेरेंसी स्टैंडर्डाइज हो, और परफॉर्मेंस ग्लोबली वेरीफाई हो सके।

“यह लोगों को क्रिप्टो स्पेस के अंदर रहते हुए, कुछ प्रेडिक्टेबल और समझ में आने वाला विकल्प देता है, जो रियल परफॉर्मेंस पर आधारित है, न कि खोखले वादों पर,” उन्होंने BeInCrypto से कहा।

क्रेडिट डिसिप्लिन ऑन-चेन ला रहे हैं

इसके बाद Lang ने बताया कि किस तरह 8lends अपने ऑपरेशनल मॉडल में DeFi और पारंपरिक क्राउडलेंडिंग के एलिमेंट्स को जोड़ता है। यह प्लेटफॉर्म Maclear की Swiss P2P लेंडिंग में एक्सपर्ट टीम ने डेवलप किया है, लेकिन इसे किसी Web2 प्लेटफॉर्म का सीधा एक्सटेंशन नहीं माना गया।

इसके बजाय फोकस यह था कि डिसेंट्रलाइज्ड एनवायरमेंट में क्रेडिट प्रोसेस को कैसे स्ट्रक्चर्ड और प्रजेंट किया जाए, जिसमें दोनों इकोसिस्टम्स के इन्वेस्टर्स की अलग-अलग उम्मीदें भी शामिल हों। उन्होंने कहा:

“ट्रेडिशनल लेंडिंग में लोग रेग्युलेशन और रेप्युटेशन पर भरोसा करते हैं, लेकिन ऑन-चेन यूज़र्स को सबसे पहले क्लारिटी चाहिए। उन्हें यह समझना है कि फैसले कैसे लिए जा रहे हैं। इसलिए हमने प्रॉसेस के मेन एलिमेंट्स को ज्यादा विजिबल किया: कौन सा इनफॉर्मेशन हम एनालाइज करते हैं, बॉरोअर को कैसे असैस करते हैं, और रिस्क कैसे मॉनिटर होते हैं।”

Lang ने ये भी माना कि Web3 यूज़र्स को जैसे-जैसे अपडेट्स मिलती हैं, वैसे-वैसे जानकारी चाहिए। वे फाइनल रिजल्ट के लिए इंतजार नहीं करना चाहते, बल्कि हर स्टेप में प्रोग्रेस देखना चाहते हैं। इसी वजह से 8lends ने जानकारी को इस तरह ऑर्गेनाइज किया है कि इन्वेस्टर्स सारी डेवेलपमेंट्स क्लियर और टाइमली देख सकें, साथ ही अंडरराइटिंग प्रोसेस की गंभीरता बरकरार रहे।

कंसिस्टेंसी आखिरी ज़रूरत रही। Lang ने बताया कि Maclear ने अपनी रेप्युटेशन स्ट्रिक्ट, रिपीटेबल प्रोसीजर्स से बनाई है — जिसमें डॉक्युमेंट्स की जांच, फाइनेंशल एनालिसिस और लगातार मॉनिटरिंग शामिल है। उन्होंने आगे कहा:

“इतनी मजबूत ऑपरेशनल स्ट्रक्चर को ब्लॉकचेन एनवायरनमेंट में ट्रांसलेट करने के लिए, यह ज़रूरी था कि इनफॉर्मेशन प्रजेंटेशन और वेरिफिकेशन को स्टैंडर्डाइज किया जाए, ताकि यूज़र्स खुद देख सकें कि लॉजिक क्या है।”

कंपनी के लिए ब्लॉकचेन यहीं असली फायदेमंद साबित होता है। फंडिंग फ्लो, रिपेमेंट्स और परफॉरमेंस डेटा जैसे ही होते हैं, वैसे ही दिखाए जा सकते हैं। स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स हर बार एक जैसे रूल्स लागू करते हैं, जिससे ऑपरेशनल रिस्क कम होता है। साथ ही, ये सिस्टम पूरी दुनिया के यूज़र्स को एक्सेसिबल रहता है, और अंडरराइटिंग प्रॉसेस जैसी ही क्रेडिट डिसिप्लिन बनी रहती है।

Proof of Loan: 8LNDS कैसे पार्टिसिपेशन को सपोर्ट करता है बिना Yield रिप्लेस किए

Blockchain इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल ट्रांसपेरेंसी और एक्सेस को बेहतर बनाने के साथ, 8lends ने अपने प्लेटफॉर्म के Web3 क्राउडलेंडिंग इकोसिस्टम में भागीदारी के लिए 8LNDS नाम का नैटिव टोकन भी लॉन्च किया है। कई DeFi-नेटिव टोकन्स की तुलना में, 8LNDS का मकसद प्लेटफॉर्म पर लॉन्ग-टर्म इंगेजमेंट और एक्सपर्ट पार्टिसिपेशन को मजबूत करना है, लेंडिंग प्रोडक्ट की इकॉनमिक्स को बदलना नहीं।

8lends पर लेंडिंग से मिलने वाली यील्ड्स फिक्स्ड रहती हैं, यह एसेट-बैक्ड हैं और बॉरोअर के परफॉर्मेंस से जुड़ी होती हैं। यह टोकन उसी स्ट्रक्चर के साथ काम करता है, एक्टिव लेंडर्स को रिवॉर्ड्स, लॉयल्टी मैकेनिज्म, और अलग-अलग बेनिफिट्स देता है, चाहे वह ट्रेडिशनल हो या Web3-नेटिव ऑडियंस।

“यह टोकन पब्लिक सेल या शुरुआती लिक्विडिटी के लिए पुश के जरिए लॉन्च नहीं किया गया था। इसकी शुरुआत earn-only टोकन के रूप में हुई और इसका डिस्ट्रिब्यूशन डायरेक्टली प्लेटफॉर्म की एक्टिविटी से जुड़ा रहा,” Timoshkin ने बताया।

8LNDS प्लेटफॉर्म पर 8lends के Proof of Loan मैकेनिज्म के जरिए यूजर के पार्टिसिपेशन पर डिस्ट्रिब्यूट होता है, जब यूजर रियल-वर्ल्ड बिज़नेस लोन को फंड करते हैं। इस सिस्टम में, टोकन डिस्ट्रिब्यूशन रियल लेंडिंग एक्टिविटी के हिसाब से होता है, जबकि इन्वेस्टर को रिटर्न सिर्फ ऑपरेटिंग कंपनियों से मिलने वाली लोन रीपेमेन्ट से ही मिलता है।

Web3 Crowdlending को क्या साबित करना है

बातचीत के आखिर में, Lang ने वे क्वालिटीज बताई जिनकी उसे लगता है कि Web3 क्राउडलेंडिंग को मेनस्ट्रीम एडॉप्शन तक पहुंचने के लिए जरूरी हैं। इनमें बॉरोअर्स और लोन टर्म्स की ट्रांसपेरेंसी, क्लियर और समझ में आने वाली रिस्क असेसमेंट, और ऐसे रिटर्न शामिल हैं जो रियल रीपेमेन्ट एक्टिविटी से हासिल होते हैं, इन्सेंटिव्स से नहीं।

उन्होंने लिक्विडिटी के बारे में ईमानदार रहने की भी जरूरत बताई, और कहा कि फिक्स्ड-टर्म लोन को फिक्स्ड-टर्म इन्वेस्टमेंट जैसा ही बिहेव करना चाहिए, न कि वह प्रोडक्ट जो इंस्टेंट एग्जिट का वादा करे।

“अगर यह सेगमेंट ग्रो करना चाहता है, तो इसे रियल फंडामेंटल्स पर भरोसा रखना होगा, न कि हाई यील्ड्स की मार्केटिंग पर। यही एकमात्र तरीका है जिससे एक स्टेबल-इनकम मॉडल मार्केट में टिक सकता है, जहां सबको पता है कि ट्रांसपेरेंसी ऑप्शनल होने पर क्या होता है।”

Lang के लिए सबसे क्लियर सक्सेस का सिग्नल इन्वेस्टर के बिहेवियर में बदलाव से आएगा, न कि सिर्फ हेडलाइन ग्रोथ मैट्रिक्स से। जब क्रिप्टो इन्वेस्टर्स बिज़नेस-बैक्ड लेंडिंग को अपने पोर्टफोलियो का स्टैंडर्ड हिस्सा मानने लगेंगे और यील्ड के प्रोमिसेज की बजाय क्रेडिट फंडामेंटल्स पर इसका आकलन करेंगे, तो यह Web3 क्राउडलेंडिंग के ज्यादा मैच्योर फेज में जाने का इशारा होगा।

“और यह शिफ्ट देखना इतना मुश्किल नहीं है। अगर एवरेज Web3 पोर्टफोलियो का सिर्फ 5% से 10% भी रियल-वर्ल्ड लेंडिंग में चला जाता है, तो यही सिग्नल है कि क्राउडलेंडिंग एक नीश आइडिया से निकलकर नार्मल पैसिव-इनकम ऑप्शन बन गया है,” उन्होंने कहा।

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